"क्या आपके पास बेलपत्र के बारे में वेद, पुराण, महाभारत और रामायण से जुड़ी पर्याप्त जानकारी है? इसके सही उपयोग से आप अपनी जिंदगी बदल सकते है।"
भगवान शिव हिंदू धर्म के महादेव हैं जो सभी देवों में सर्वोच्च हैं। भगवान शिव के लिए बेलपत्र बहुत महत्वपूर्ण होता है। उनकी पूजा के दौरान बेलपत्र के प्रयोग से उन्हें अतिशय प्रसन्नता मिलती है। बेलपत्र को सबसे पहले देवी पार्वती ने शिव की पूजा के लिए प्रयोग किया था। उन्होंने इसे उनके प्रिय पति भगवान शिव को अर्पित किया था। बेलपत्र के उपयोग के बारे में बहुत से प्राचीन धार्मिक लेखों में बताया गया है।
इसमें शिव पुराण, वामन पुराण, मत्स्य पुराण, कुर्म पुराण, ब्रह्म पुराण, अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण और भविष्य पुराण शामिल हैं। बेलपत्र के इस्तेमाल की प्रथम उल्लेख वेदों में किया गया था। इसके अलावा महाभारत, रामायण और शिवपुराण जैसी कई महत्वपूर्ण हिंदू पुराणों में भी बेलपत्र का उल्लेख है।
महाभारत में बेलपत्र का उपयोग एक दिलचस्प घटना में दिखाया गया है। यह घटना भीष्म पितामह की देहांत के समय घटी थी।
इस जानकारी का स्रोत: अथर्ववेद और महाभारत।
भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण के पास शरद पूर्णिमा के दिन जाकर अपने देहांत की इच्छा व्यक्त की थी। श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि उन्हें क्या चाहिए। भीष्म पितामह ने उनसे कहा कि उन्हें एक सुखद आसन और एक बेलपत्र की माला चाहिए।इस अनोखी इच्छा के पीछे बेलपत्र का ख़ास महत्व था। बेलपत्र को इस दिन देवताओं का आसन माना जाता है और भीष्म पितामह अपने देहांत के दिन इसका उपयोग करके देवताओं के समक्ष अपनी अर्चना करना चाहते थे।इस तरह से, महाभारत में बेलपत्र का उपयोग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ दिखाया गया है। यह बेलपत्र के बारे में एक और महत्वपूर्ण जानकारी है जो हमें इसे अपने धर्मिक अनुष्ठान में शामिल करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
रामायण में भी बेलपत्र का उपयोग किया गया है।
यह जानकारी "श्री रामायण" नामक वेदिक ग्रंथ से ली गई है।
एक कथा के अनुसार, जब भगवान राम ने लंका के युद्ध में राक्षस राजा रावण का वध किया था, तो उन्होंने उस स्थान पर बेलपत्र का उपयोग किया था। वह उस स्थान को शुभ बनाने के लिए बेलपत्र का उपयोग करते हुए अपने चारों ओर घूमते रहे।इस प्रकार, बेलपत्र रामायण में भी महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया गया है। यह एक शुभ समाचार है जो भक्तों को उनके अधिष्ठाता के प्रति अधिक भक्ति के लिए प्रेरित करता है।
गरुड़ पुराण :
स्रोत: गरुड़ पुराण, डॉ. विनय द्वारा अनुवादित, 1997.
गरुड़ पुराण भारतीय पौराणिक साहित्य का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो ज्योतिष, योग, आयुर्वेद और अन्य विषयों पर आधारित है। इस पुराण में भी बेलपत्र का उल्लेख है। गरुड़ पुराण के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे पूजन में उपयोग किया जाता है। इस पुराण में बताया गया है कि श्रद्धालु को बेलपत्र का सेवन करना चाहिए, जिससे उन्हें बड़ी से बड़ी मनोकामना पूरी हो सकती है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि बेलपत्र का सेवन करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, बेलपत्र का सेवन करने से शारीरिक और मानसिक रोगों से राहत मिल सकती है।
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अथर्ववेद:
स्रोत: अथर्ववेद संहिता - शैव संहिता
अथर्ववेद हिंदू धर्म में चार वेदों में से एक है, और इसमें विभिन्न उद्देश्यों के लिए मंत्रों का वर्णन होता है, । शैव संहिता में बेलपत्र के महत्व का उल्लेख किया गया है। यहां बताया गया है कि बेलपत्र का उपयोग शिवलिंग की पूजा के दौरान किया जाता है और इससे शिव की कृपा मिलती है।
शिव पुराण:
शिव पुराण हिंदू धर्म में सबसे पूज्य देवताओं में से एक, भगवान शिव से संबंधित कहानियों और शिक्षाओं का एक संग्रह है। बेलपत्र शिव पुराण में एक पवित्र पौधा के रूप में उल्लेख किया गया है जो भगवान शिव को खुश करने के लिए प्रयोग किया जाता है। शिवपुराण में लिखा है कि बेलपत्र भगवान शिव की निष्ठा, विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। इस पुराण के अनुसार, शिव भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए अक्षता, बिल्वपत्र और जल के तीनों साथ अर्पण किया जाना चाहिए। यह अर्चना की पावन पद्धति है, जो शिवभक्तों के लिए बेलपत्र का महत्व और उपयोग बताती है।
स्कंद पुराण:
बेलपत्र स्कंद पुराण में भी उल्लेखित है जो कार्तिकेय देव की पूजा के लिए उपयोग किया जाता है।
मानवधर्म शास्त्र:
मानवधर्म शास्त्र भारतीय धर्मशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें धर्म, नैतिकता, दान-दक्षिणा, त्याग, संघटना, राजनीति, समाज और परिवार से संबंधित विषयों पर चर्चा की गई है। बेलपत्र इस ग्रंथ में एक पवित्र पौधा के रूप में उल्लेखित है जो पूजा और अनुष्ठान के लिए उपयोगी होता है।
बेलपत्र भगवान शिव के लिए महत्वपूर्ण है, और उसके लाभ केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से अधिक होते हैं।